सुन्दर दास जी के जीवन चरित्र सहित जिनमें महात्मा ने अति मनोहर सवैया और छन्दों में गुरुभक्ति, वैराग्य, चितावनी आदि के सिवाय, वेदान्त के गूढ़ विषय को बड़ी सरल और मृदु कविता में वर्णन किया है। पुस्तक का जैसा नाम है उसी के अनुसार पूर्ण पुस्तक में कठिन शब्दों के अर्थ व संकेत बड़े ही सरल ढ़ंग से नीचे नोट में दिये गये है।