कबीर साहब का ग्रन्थ जो लाला गिरधारी लाल साहेब के २६ चौपाई वाले पाहिले छापे में १७ चौपाई और एक हस्तलिखित प्रमाणित लेख से ( जिसे कृपा करके नदियाद के एक कबीर पंथी भक्त वैघ राज नारायण भाई पण्डित ने भेजा है ) यथास्थान छोड़कर व शोध कर छपी गई है |