प्रस्तुत पुस्तक सन्त 1⁄4महात्मा1⁄2 कबीर के प्रति कोमल और मनोहर साखियाँ कई पुस्तकों और फुटकर लिपियों से चुनकर बड़ी शुद्धता के साथ 84 अंकों में छापी गई है, प्रस्तुत पुस्तक के विषय जैसे कि श्री सुधारक जी ने कहा है कि -‘न भूतों न भविष्यति’ इस बात का यही उदाहरण है कि पुस्तक अत्यधिक ज्ञानवर्द्धक है और हमारे पास पाठकों की एक धरोहर है जो उन्हें हमेशा लाभदायक सिद्ध होगी।