Jagjeevan Sahab Ki Bani - Part 2

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Description

जिसमें उन महात्मा के अति उत्तम शब्द 30 बिरह और प्रेम अंग के 62 उपदेश के 24 भेद के, 17- साद्य महिमा के और असाध के रेहमी के 8-आरती के, 6 मंगल के, 3 सावन व हिंडोला के, 7 बसन्त के, 29-होली के और 99 मिश्रित अंग में छपे हैं और शिष्यों के नाम, 5-शिक्षापद् और कुछ साखियाँ भी दी हुई है।