दयाबाई की यह पुस्तक का दूसरा दयबोध और विनय मलिका है जिसके अदि उन महात्मा जीवन चरित्र है और उनकी अति कोमल और मधुर सखियां-मुख अंगों में यथाक्रम में रक्खी गई है और गूढ़ शब्दों के अर्थ व संकेत सम्बंधित अन्य भक्तों की कथा नोट में लिख दी गई है |