बिहार वाले दरिया साहब का, जो तीन लिपियों में महन्त फौजदार दास जी की मौजूदगी में शोधकर छापा गया है पुस्तक बड़ी सजीव व सरल है क्योंकि इसके गूढ़ शब्दों और पदों को नीचे नोट में लिख दिया गया है। इसी प्रकार इसके पाठ-भेद सरलता की पुष्टी से नीचे नोट में यथा स्थान छापा गया है।