दादू दयाल के जीवन-चरित्र यह पुस्तक दो भागों में हैं क्योंकि इस पहिले भाग में साखियों की पूर्णतया पदों से अलग रखना चाहते थे किन्तु इनकी संख्या अत्यधिक है जिसके कारण कुछ साखियाँ द्वितीय भाग में भी रखना पड़ा। पुस्तक बड़ें रोचक ढ़ंग से तैयार की गई है और इसे पाठक की सुविधा के लिए अत्याधिक सरल भाषा में छापा गया है।